संग्रामपुर. वृंदावन से पधारे कथावाचक आचार्य ज्ञानी जी महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण की विविध लीलाओं से अवगत कराया और कहा कि कृष्ण की लीलाएं माधुर्य और ऐश्वर्य का प्रतीक है. वे शुक्रवार को श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के छठे दिन शुक्रवार को श्रद्धालुओं को प्रवचन करते हुए कही. कथावाचक ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की लीलाएं दो प्रकार की होती है. पहला माधुर्य लीला तो दूसरा ऐश्वर्य लीला. उन्होंने कहा कि माखन चुराना, ग्वाल वालों संग गाय चराना और वंशी बजाना भगवान की माधुर्य लीलाओं का भाग है. जिससे वे ब्रजवासियों को आनंद प्रदान करते हैं. वहीं पूतना वध, सकटासुर वध, ब्रह्मा मोह लीला और इन्द्र का अभिमान तोड़कर गोवर्धन पर्वत को अंगुली पर उठाना, उनकी ऐश्वर्य लीला का परिचायक है. कथा के माध्यम से उन्होंने बताया कि भगवान इन्द्र की पूजा को बंद कराकर यह संदेश देते हैं कि पूजा में तीन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है. किसकी पूजा करें, कैसे करें और क्यों करें. उन्होंने कहा कि यदि पूजा अनुराग और विधि के साथ की जाए तो उसका फल अवश्य मिलता है. इस संदर्भ में तुलसीदासजी की चौपाई उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा “पूजा कीन्ह अधिक अनुरागा, निज अनुरूप सुभग वर मांगा” इस प्रकार जब माता सीता ने मां गौरी की भक्ति की तो उन्हें सहज रूप से श्रीराम जैसे सुंदर, शीलवान और योग्य वर की प्राप्ति हुई. यह बताता है कि प्रेम से की गई पूजा फलदायी होती है. कथा के अंतिम चरण में बताया कि भगवान श्रीकृष्ण सब कुछ जानते हुए भी गुरुकुल जाते हैं और गुरु की सेवा करते हैं. इसके बाद गुरु दक्षिणा में मृत पुत्र को यमराज से वापस लाकर असंभव को संभव कर दिखाते हैं. यही ईश्वर की लीला है. इस दौरान श्रद्धालुओं ने जय श्रीकृष्ण के जयघोष लगाकर वातावरण को भक्तिमय बना दिया.
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