– पिछले दिनों खुशबख्सी की होड़ में ममता ने प्रसूता को बेटी की जगह सौंपा दिया था बेटा, हुआ था हंगामा
मुंगेरसदर अस्पताल का प्रसव केंद्र भले ही सुरक्षित मातृत्व आश्वासन और सुरक्षित प्रसव को लेकर लगातार बेहतर कर रहा है. लेकिन यहां बढ़ रहे ममता व आशा के दखलअंदाजी और दबाव के कारण प्रसव केंद्र के प्रदर्शन पर कालिख लग रही है. जहां ममता और आशा द्वारा प्रसूता के परिजनों से बच्चा होने के बाद खुशबख्सी में पैसा देने का इस हद तक दबाव बनाया जाता है कि परिजन तो प्रताड़ित होते ही हैं. कई बार प्रसव केंद्र में हंगामे की स्थिति बन जाती है. बीते दिनों भी खुशबख्सी की होड़ में ही ममता ने प्रसूता को लड़की होने के बदले लड़का सौंप दिया गया. जिसके कारण खुद अस्पताल प्रबंधन को प्रसूता के परिजनों के हंगामे का सामना करना पड़ था.
खुशबख्सी के नाम पर मरीज हो रहे प्रताड़ित
सदर अस्पताल में अब सामान्य प्रसव के साथ सिजेरियन प्रसव पर भी लोगों का भरोसा बढ़ा है. जिसके कारण ही अस्पताल में सामान्य और सिजेरियन के प्रतिमाह 500 से अधिक प्रसव हो रहे हैं. जबकि इसमें केवल 250 से अधिक प्रसव सिजेरियन हो रहे हैं. लेकिन यहां सबसे बड़ी मुसीबत ममता और आशा का दखल बन गया है. जहां प्रसव के बाद बेटी या बेटा होने पर ममता व आशा प्रसूता के परिजनों पर हद से अधिक खुशबख्सी देने को मजबूर करती है. जिससे कई बार गरीब परिवार के लोगों को परेशानी का सामना करना ही पड़ता है.
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—————————————————प्रसव केंद्र में कार्यरत हैं 22 ममता
मुंगेर : सदर अस्पताल के प्रसव केंद्र में तीन शिफ्ट में कुल 22 ममता कार्यरत हैं. जिनकी ड्यूटी यहां लगती है और ये प्रसव के दौरान चिकित्सक और कर्मियों की मदद के साथ प्रसुताओं को भी संभालती है. लेकिन प्रसव के बाद प्रसूता के परिजनों द्वारा खुशबख्सी के लिए दबाव के मामले कई बार सामने आ चुका है. लेकिन प्रसूता के परिजनों द्वारा अपने खुशी के बीच इसे लेकर किसी प्रकार की लिखित शिकायत नहीं करते. जिससे प्रसव केंद्र में ममता और आशा की दखलअंदाजी पर लगाम नहीं लग पा रहा है. हद तो यह है कि कई बार तो ममता बच्चा सौंपती भी तब है, जब उन्हें खुशबख्सी मिलती है.बीते दिनों भी ममता के कारण ही बनी थी हंगामें की स्थिति
नियमानुसार किसी भी प्रसुता को लड़का या लड़की होने पर इसकी जानकारी चिकित्सक द्वारा प्रसूता के पर्ची पर लिखा जाता है. जिसके बाद परिजनों को लड़का या लड़की होने की जानकारी चिकित्सक या परिचारिकाओं द्वारा दी जाती है. लेकिन तीन दिन पहले प्रसव केंद्र के एमसीएच वार्ड में प्रसव के बाद ममता बिना चिकित्सक व परिचारिका से पूछे ही प्रसूता को लड़की होने के बाद दुसरे का लड़का सौंप दिया. जिसके बाद परिजन ममता व एमसीएच के कर्मियों पर बच्चा बदलने का आरोप लगाते हुये हंगामा करने लगे थे.कहते हैं अस्पताल उपाधीक्षक
सदर अस्पताल उपाधीक्षक डा. रामप्रवेश प्रसाद ने बताया कि बीते दिनों हुए घटना को लेकर चिकित्सक, स्वास्थ्य कर्मी और संबंधित ममता से स्पष्टीकरण पूछा गया है. साथ ही प्रसव केंद्र व एमसीएच में चिकित्सक, कर्मियों और ममता को स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि खुशबख्सी मांगने का मामला सामने आने पर सीधे कार्रवाई की जायेगी.—————————————-बॉक्स
—————————————–4 जून 2023 –
प्रसव केंद्र में जमालपुर दरियापुर निवासी विमला देवी अपनी बेटी सोनी देवी के प्रसव के बाद ममता व आशा पर खुशबख्सी मांगने और मना करने पर बच्चा नहीं देने का आरोप लगाया गया था. वहीं मामले को लेकर तत्कालीन सिविल सर्जन डा. पीएम सहाय ने मामले की जांच की थी. हलांकि परिजनों के लिखित शिकायत नहीं करने के कारण कार्रवाई नहीं हो पायी थी.18 जुलाई 2024
– प्रसव केंद्र में खड़गपुर निवासी अनिल साह की पत्नी राधिका देवी को बच्चा होने पर खुशबख्सी के लिए प्रसव केंद्र के बाहर ही ममता और आशा आपस में भिड़ गयी थी. मामले में अस्पताल प्रबंधन द्वारा संबंधित ममता व आशा पर कार्रवाई की गयी थी.21 सितंबर 2024 –
प्रसव केंद्र में बरियारपुर निवासी दामोदर यादव की बहू प्रमिला देवी को बच्चा होने के बाद ममता द्वारा परिजनों से खुशबख्सी के नाम पर 1 हजार रुपए लिया गया था. जिसे लेकर परिजनों ने नाराजगी जताते हुए अस्पताल प्रबंधन से शिकायत भी की थी, लेकिन मामले में लिखित शिकायत नहीं मिलने के कारण कोई कार्रवाई नहीं हो पायी थी.30 जुलाई 2025 –
एमसीएच वार्ड में सिजेरियन प्रसव के बाद ममता द्वारा खड़गपुर निवासी प्रसूता अंकिता सिंह को लड़की होने के बाद भी लड़का सौंप दिया गया था. साथ ही एक हजार रुपये खुशबख्सी भी लिया था. वहीं गलती की जानकारी होने के बाद प्रसूता से बालक लेकर बालिका सौंप दिया. जिसके बाद परिजन बच्चा बदलने का आरोप एमसीएच वार्ड के कर्मियों पर लगाते हुए हंगामा करने लगे थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है