डोर-टू-डोर कचरा संग्रह व सार्वजनिक शौचालयों की सफाई रैंकिंग में पिछड़ा मुंगेर शहर
डंप साइट सुधार की दिशा में एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाया निगमप्रतिनिधि, मुंगेर
स्वच्छता रैंकिंग में इस बार मुंगेर शहर का स्कोर पिछले वर्ष की तुलना में बेहतर रहा और नेशनल व स्टेट रैंकिंग में भी सुधार हुआ, लेकिन नगर सरकार के तमाम दावों के बावजूद स्वच्छता रैंकिंग में इस बार फिर डोर-टू-डोर कूड़ा संग्रह और सार्वजनिक शौचालयों की सफाई रैंकिंग में शहर काफी नीचे लुढ़क गया है. इसमें शहर का स्कोर काफी निराशाजनक है. जबकि सफाई पर प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं. इसलिए नगर सरकार को इस व्यवस्था में सुधार के लिए अभी और काम करने की जरूरत है.डोर टू डोर कचरा संग्रह में केवल 42 अंक
स्वच्छता सर्वेक्षण में डोर-टू-डोर कूड़ा संग्रह एक महत्वपूर्ण पहलू है, लेकिन इस महत्वपूर्ण बिंदु पर नगर निगम की लापरवाही के कारण शहर का स्कोर काफी निराशाजनक रहा. मुंगेर निगम ने शहर की सफाई का ठेका एक एनजीओ को दे रखा है. इस पर प्रतिवर्ष दो करोड़ से अधिक रुपये खर्च हो रहे हैं. इसी एनजीओ को डोर-टू-डोर कूड़ा संग्रह का भी ठेका है. नगर निगम प्रशासन ने डोर-टू-डोर कूड़ा संग्रह के लिए एक करोड़ से अधिक की राशि खर्च कर ई-रिक्शा की खरीद की. कचरा रखने के लिए डस्टबिन खरीद कर घरों में वितरण भी किया. पर जिस एनजीओ को डोर-टू-डोर कूड़ा संग्रह का ठेका दिया गया है, उसने सही से काम नहीं किया और निगम प्रशासन ने उसकी मॉनिटरिंग नहीं की. इसके कारण डोर-टू-डोर कूड़ा संग्रह में मुंगेर शहर बुरी तरह से पिछड़ गया. डोर-टू-डोर कूड़ा संग्रह में वर्ष 2023 में मुंगेर को 84 अंक मिला था. वहीं वर्ष 2024 में मात्र 42 अंक प्राप्त हो पाया, जो यह दर्शाता है कि मुंगेर शहर में डोर-टू-डोर कूड़ा संग्रह व्यवस्था पूरी तरह से बदहाल है.सार्वजनिक शौचालयों की स्वच्छता में भी पिछड़ा मुंगेर
सार्वजनिक शौचालयों की स्वच्छता एक और महत्वपूर्ण मुद्दा है, जो एक स्वस्थ और स्वच्छ शहर के लिए आवश्यक है. दुर्भाग्य से मुंगेर शहर एक ऐसा शहर है, जहां के सार्वजनिक शौचालयों की स्थिति काफी दयनीय है. इसने न केवल स्वच्छता रैंकिंग को बुरी तरह से प्रभावित किया, बल्कि यह बीमारियों के प्रसार का भी एक प्रमुख कारण बन गया. इसके कारण इस बार के स्वच्छता सर्वेक्षण में इस मुद्दे पर मुंगेर शहर काफी पिछड़ गया. इस बार सार्वजनिक शौचालयों की सफाई मामले में शहर को मात्र 14 अंक प्राप्त हुआ. जबकि वर्ष 2023 के स्वच्छता सर्वेक्षण रैंकिंग में शहर को इस मामले में 75 अंक प्राप्त हुआ था. इसलिए नगर निगम प्रशासन को सार्वजनिक शौचालयों की स्वच्छता बेहतर बनाने के लिए काम करना होगा. इसको लेकर जागरूकता अभियान चलाने, बुनियादी ढांचे में सुधार करने और नियमित निरीक्षण करने की आवश्यकता है.डंप साइट सुधार में शहर को मिला शून्य अंक
डंप साइट सुधार की दिशा में मुंगेर नगर निगम एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा पा रहा है. वर्ष 2023 के स्वच्छता सर्वेक्षण रैंकिंग में डंप साइट सुधार के मामले में शहर को शून्य अंक मिला था और इस बार 2024 के स्वच्छता सर्वेक्षण रैंकिंग में भी शहर को शून्य अंक ही मिला है. इससे स्पष्ट है कि निगम प्रशासन ने डंपिंग एरिया में लाखों खर्च करने के बाद भी एक कदम आगे नहीं बढ़ पाया. डंपिंग एरिया की बाउंड्रीवाल नहीं बन पायी है. कचरा का पहाड़ यहां खड़ा है. इसकी बदबू से आधे दर्जन मुहल्ले के लोग परेशान है. हवा चलने पर डंप साइट में पड़ा कचरा उड़ कर लोगों के घरों में पहुंच रहा है. अपशिष्ट उत्पादन बनाम प्रसंस्करण में भी मुंगेर शहर बेहतर नहीं कर पाया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है