संग्रामपुर. वृंदावन से पधारे कथावाचक आचार्य ज्ञानी जी महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य लीलाओं का वर्णन किया, जिसे सुन श्रद्धालु भाव-विभोर हो गये. उन्होंने शनिवार को प्रखंड के कहुआ गांव स्थित शीतल धाम मंदिर परिसर में आयोजित श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के सातवें दिन श्रद्धालुओं को प्रवचन करते हुए कही. आचार्य ज्ञानी ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी सहित आठ पटरानियों से विवाह किया और भौमासुर की कैद से मुक्त की गयी 16 हजार 100 कन्याओं को भी अपनाकर उनसे विवाह किया. जब समाज द्वारा ठुकराई गयी कन्याएं भगवान से प्रार्थना करने लगी कि अब हमें कोई स्वीकार करने वाला नहीं है, कृपया हमें अपने चरणों की दासी बना लीजिए, तब प्रभु ने उन्हें अपनाकर करुणा और स्वीकार्यता का दिव्य संदेश दिया. उन्होंने कहा कि भगवान ने 125 वर्षों तक इस धरा पर विविध लीलाएं की और अंत में यदुवंशियों का विनाश कर अपने निजधाम को प्रस्थान किया. उन्होंने जो कार्य किए, वे मनुष्यों के लिए असंभव प्रतीत होते हैं, किंतु भगवान की माया से सब कुछ संभव हुआ. इस दौरान राजा परीक्षित की कथा का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि शुकदेव जी ने परीक्षित से कहा कि तत्क्षक नाग के काटने से तुम्हारी मृत्यु नहीं होगी, यदि तुम भगवान के चरण कमलों का चिंतन करोगे. तब सातवें दिन गज रूप में तत्क्षक आया और डंसने के बाद भी परीक्षित मोक्ष को प्राप्त हुए. आचार्य ने भागवत का सार बताते हुए कहा कि हरि नाम का संकीर्तन करने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं. कथा स्थल पर भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे.
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