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छह वर्षों से प्लास्टिक के तंबू में जीवन

सरकार का दावा है कि विकास योजनाओं का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाया जा रहा है.

फोटो 24 डालपीएच- 14 पांडू के जितेंद्र प्रजापति की बदहाली ने खोखला किया सरकार का विकास दावा प्रतिनिधि, पांडू सरकार का दावा है कि विकास योजनाओं का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाया जा रहा है. लेकिन पांडू प्रखंड के ढांचा बार निवासी जितेंद्र प्रजापति की स्थिति इस दावे को पूरी तरह से झुठलाती है. पिछले छह वर्षों से जितेंद्र अपने परिवार के साथ प्लास्टिक के तंबू में जीवन बिता रहे हैं, क्योंकि उनका मिट्टी का घर गिर चुका है और उन्हें आज तक प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिल पाया. तंबू ही बना आशियाना जितेंद्र ने बताया कि उन्होंने दो माह पूर्व पंचायत के मुखिया को आवास योजना से संबंधित सभी दस्तावेज सौंपे थे. मुखिया ने आश्वासन दिया था कि एक सप्ताह के भीतर उनके खाते में राशि भेज दी जायेगी, लेकिन आज तक कोई सहायता नहीं मिली. उनका नाम सूची में शामिल होने के बावजूद उन्हें आवास नहीं मिला. बारिश के दिनों में स्थिति और भी भयावह हो जाती है. प्लास्टिक के तंबू से पानी टपकता है, मिट्टी की दीवार बह जाती है, और पूरा परिवार रातभर जागकर बैठा रहता है. कई बार उन्हें भूखे पेट सोना पड़ता है, क्योंकि खाना बनाना भी संभव नहीं होता। परिवार की पीड़ा जितेंद्र अपनी माँ मालती देवी, पत्नी प्रभा देवी और दो बच्चों के साथ इस तंबू में रहते हैं. लकड़ी के खंभों से दीवार बनायी गयी है, जिस पर प्लास्टिक बोरा और मिट्टी की पोताई की जाती है. छत के नाम पर सिर्फ प्लास्टिक है. यह अस्थायी ढांचा हर बारिश में टूटता है और उन्हें बार-बार मरम्मत करनी पड़ती है.

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