मेदिनीनगर. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक संरक्षक शिबू सोरेन का पलामू जिला से गहरा जुड़ाव रहा है. झारखंड राज्य की स्थापना से पूर्व ही उन्होंने इस क्षेत्र को अपने राजनीतिक और सामाजिक संघर्षों का अभिन्न हिस्सा बना लिया था. पलामू प्रमंडल में पार्टी को जमीनी स्तर पर खड़ा करने और संगठन को मजबूत करने के लिए उन्होंने निरंतर प्रयास किये. चियांकी से शुरू होता था पलामू दौरा
गुरुजी जब भी पलामू आते, तो मुख्यालय मेदिनीनगर (डालटनगंज) पहुंचने से पहले चियांकी स्थित संजीव तिवारी के आवास पर विश्राम करते थे. यहीं से वे जनसभाओं और बैठकों के लिए निकलते. उस समय झामुमो की पकड़ यहां कमजोर थी, लेकिन शिबू सोरेन को विश्वास था कि संघर्ष के जरिए पार्टी को मजबूत किया जा सकता है.
झारखंड आंदोलन में पलामू की भागीदारी सुनिश्चित की
शिबू सोरेन ने झारखंड राज्य आंदोलन के दौरान पलामू के नेताओं और युवाओं को सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने लोगों को बताया कि बिहार से अलग राज्य बनने पर पलामू जैसे इलाकों को कितना लाभ मिलेगा. उन्होंने गांव-गांव जाकर, व्यक्तियों से मिलकर आंदोलन में भाग लेने की अपील की. परिणामस्वरूप, बड़ी संख्या में लोग झामुमो के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आंदोलन का हिस्सा बने.
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