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मुजफ्फरपुर विधानसभा चुनाव 2025
(Muzaffarpur Vidhan Sabha Chunav 2025)
बिहार विधानसभा चुनाव में मुजफ्फरपुर सीट काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है. हॉट सीटों में से एक मुजफ्फरपुर की यह सीट पर लगभग हर चुनाव में कांटे की टक्कर देखने को मिलती है. इस सीट पर कांग्रेस, बीजेपी के अलावा निर्दलीय का भी खाता खुलता रहा है. कांग्रेस ने करीब 30 साल के लंबे गैप के बाद इस सीट पर 2020 में कमबैक किया. अब इस चुनाव में यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि क्या कांग्रेस बीते 5 सालों में जनता की उम्मीदों पर खरी उतर पाई है या जनता बदलाव के मूड में है?
मुजफ्फरपुर विधानसभा चुनाव परिणाम
2020
2015
2010
CANDIDATE NAME | PARTY | VOTES |
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मुजफ्फरपुर विधान सभा चुनाव से जुडी जानकारी
मुजफ्फरपुर विधानसभा सीट बिहार की हॉट सीटों में से एक है. इस सीट पर वर्तमान में कांग्रेस यानी महागठबंधन का कब्जा है. पांच लाख की आबादी वाले इस विधानसभा सीट पर लगभग साढ़े तीन लाख वोटर्स हैं. इस सीट पर कांग्रेस, बीजेपी के अलावा क्षेत्रीय और निर्दलीयों का भी खाता खुलता रहता है. कांग्रेस ने 30 साल के लंबे गैप के बाद 2020 के चुनाव में कमबैक किया. यह सीट साठ के दशक से ही अप्रत्याशित परिणामों के लिए जाना जाता रहा है. पहला चुनाव 1952 में हुआ था. शिव नंदा पहले विधायक थे. इस सीट पर मुख्य रूप से विजेंद्र चौधरी और सुरेश कुमार शर्मा के बीच सीधी टक्कर देखी जाती है. 2005 से लेकर अबतक दो बार विजेंद्र चौधरी और दो बार सुरेश शर्मा ने इस सीट पर अपना कब्जा जमाया है. हालांकि, और पहले जाएं तो विजेंद्र चौधरी इस सीट से पांच बार विधायक रह चुके हैं.
जातीय समीकरण और सियासी गणित
मुजफ्फरपुर सीट की जातीय समीकरण की बात करें तो यहां मुस्लिम, राजपूत, भूमिहार निर्णायक संख्या में हैं. वहीं ब्राह्मण, कुर्मी, रविदास, पासवान और यादव वोटरों की भी बड़ी भूमिका रहती है. इस बार विधानसभा चुनाव में बीजेपी जहां एक ओर तीसरी बार चुनाव जीतने के मंशे से मैदान में उतरेगी तो वहीं कांग्रेस भी अपनी जमीन बरकरार रखना चाहेगी. इस बार मुजफ्फरपुर सीट से प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज भी अपना उम्मीदवार उतारेगी. ऐसे में प्रशांत किशोर के चुनावी मैदान में आने से इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है.
2010 विधानसभा चुनाव में सुरेश शर्मा की शानदार जीत
2010 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सुरेश कुमार शर्मा को टिकट दिया था. वहीं, उनके सामने लोक जनशक्ति पार्टी ने मोहम्मद जमाल को चुनावी मैदान में उतारा था. सुरेश शर्मा ने इस चुनाव में भारी अंतर से जीत दर्ज की थी. उन्हें कुल 72301 वोट प्राप्त हुए थे, जो कुल वोट का 59 फीसदी है. बीजेपी के सुरेश शर्मा ने लोजपा उम्मीदवार को 46439 वोट के बड़े मार्जिन से मात दी थी.
2015 चुनाव में भी सुरेश शर्मा का दबदबा
इस चुनाव में एक बार फिर बीजेपी ने सुरेश शर्मा पर भरोसा जताते हुए चुनावी मैदान में उतारा. उनके सामने इस बार जदयू की टिकट से टक्कर दे रहे थे बिजेंद्र चौधरी. इस चुनाव में बीजेपी ने अपना दबदबा जमाए रखा और जीत दोहराई. सुरेश शर्मा को कुल 95594 वोट प्राप्त हुए. वहीं, जदयू के बिजेंद्र चौधरी को 65855 वोट मिले. सुरेश शर्मा ने कुल 29739 वोटों से जदयू उम्मीदवार को पटकनी दी थी. वोट शेयरिंग की बात करें तो सुरेश शर्मा को कुल 55 प्रतिशत वोट मिले तो वहीं बिजेंद्र चौधरी को सिर्फ 38 फीसदी.
2020 में कांग्रेस के बिजेंद्र चौधरी ने की वापसी
2020 में बीजेपी के सुरेश शर्मा के सामने कांग्रेस की टिकट से बिजेंद्र चौधरी चुनावी मैदान में थे. इस बार की लड़ाई काफी दिलचस्प थी. सुरेश शर्मा इस बार की रेस में पीछे छूट गए और कांग्रेस के बिजेंद्र चौधरी ने बाजी मार ली. बिजेंद्र चौधरी को कुल 81871 वोट प्राप्त हुए थे. वहीं, बीजेपी के सुरेश शर्मा ने उन्हें कड़ी टक्कर देते हुए 75545 वोट हासिल किए. कांग्रेस उम्मीदवार को कुल 48.16 फीसदी वोट प्राप्त हुए वहीं बीजेपी के सुरेश शर्मा को 44.44 प्रतिशत मत मिले थे.